शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

कलयुग में सनातन

सनातन बहुत ही पुराना ब्रह्मांडीय इतिहास हें,सृष्टि के आरंभ में सनातन और हमारे जीवन को कुछ सिदंतो में बांधने के लिए /वेदों , पुराणों ,और शास्त्रों की रचना हुई ;जिनका रचयिता भगवन ही थे /वेद भगवान के ही रूप रहे /महाभारत के इतिहास में जानकारी प्राप्त हुई की प्रभु वेद जी लिखते रहे और भगवान गणेश जी लिखते रहे /आज्ञानी लोगों का जीवन विशेचिन्तन में और विद्वानों का शास्त्रावलोकन में बीत जाता हें /अपने-अपने सिधान्तों की पुष्टि करने वाले अनेकों अदभुतशास्त्र हें /वेदांत को सात्विक ,मीमांसा को राजस और न्याय को तामस शास्त्र कहा जाता हें /मनुष्य ,देवता,यक्ष ,राक्षस ,गन्धर्व,और किनर ,सबके -सब जिन कर्मो के फल द्वारा अपना उद्धार क्र सकते हें /इन्ही पवित्र पुस्तकों में विस्तार पूर्वक लिखा गया हें /जिन जीवों का धर्म में अनुराग था ,उन्हें सतयुग में जन्म मिला धर्म और अर्थ केअनुरागी त्रेता में धर्म -अर्थ -काम के प्रेमी द्वापर में और अर्थ-काम का प्रेमी इस कलयुग में पैदा हुए /प्राचीन युगों में जो राक्षस प्राणी रहे होंगे वह कलि के ब्राह्मण माने जाते हैं, क्योंकि प्रायः पाखंडी, दूसरो को ठगना, झूठ बोलना तथा वैदिक धर्म - कर्म से अलग रहना ,शूद्रों की सेवा में तत्पर रहना दम्भ करना, अभिमान में चूर रहना आज के कलयुगी ब्राह्मणों का स्वाभाविक गुण है /यही ब्राह्मण वेदों के निंदक हो चुके हैं /वे धर्म का ख़ुद पालन नही करते जिनको हमारे वेद-शास्त्रों ने भूमि का देवता माना है।

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