मंगलवार, 15 जून 2010

gita और Deepak Parmanand के बीच

Guru giyan bina jeevan कोरा     

जिस  के  जीवन  मैं  गुरु  नहीं , वोह  इंसान  नहीं  पशु  है , कृष्ण  और  राम  को  भी  गुरु  की  सनिथ्य  मैं  जाना  पड़ा , जो  स्वयं  अनपद  हो , वोह  दूसरो  की  गुरु  भक्ति  को  किया  समजे  गहा , वोह  कितनी  भी  गीता  पड  ले , उसका  मार्ग  दर्शन  गुरु  के  बिना  नहीं  हो  सख्त . संत  महा  पुरुषो  की  निंदा  कर्न्ने  वाले  सनातन  धर्म  पे  एक  थफा है . प्रभु  सब  को  सुध  बूढी  प्रधान  करे . किसी  गुरु  के  बारे  मैं  अच  नहीं  सूच  सकते  तो  उनके  भरे  मैं  मत  लिकिये . आप  का  गुरु  बिना  गियान  आप  को बी  मुभारक  हो .दीपक परमा नन्द जी कास्न्देश गीता शर्मा के नाम
                                                       गीता द्वारा जीहाँ जिसके जीवन में गुरु नही उसका जीवन कोरा होता है और गुरु अछी तरहा  परख कर ही बना ना चाहिए राम और कृष्ण के गुरु तो थे जब तक उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना का काम आरम्भ नही किया हमारे शाश्त्र भी ब्राह्मण को ही गुरु बताते हैं ,भू देव बताते हैं ,कलयुग के पड़े लिखे गुरु और उनके आप जेसे चेले ,देह धारी को गुरु बनाते हैं जो अभी तक मुक्त नही आगे ऐसा होने वाला भी शक ही है ,क्यों की गीता के आरम्भ में दो सेनाओं के बीच भगवान अर्जुन का रथ हांक रहे हैं ,दूसरी सेना में सभी गुरुओं को शामिल करवा अर्जुन के हाथो ही मरवा रहे हैं ,कुछ भी छिपा नही हर अन्पड इतना जानता है ,पड़े लिखों का लेबल लगे यह इसलिए नही जानते क्यों की उन की दूकान दारी प्रभावित होती है , वेसे भी दो बेड़ियों का स्वर डूबता ही है , सिख धर्म नानक (अकाल पुरख )के जहाज पर सवार होने को कहते  है और ग्रन्थ को गुरु मानने की आज्ञा देता है ,मुस्लिम ,इसाई और हिन्दू सनातन धर्म  भी भगवान की ही शरण ग्रहण करने को कहते हैं ,किसी और की नही ,कलयुगी गुरु की शरण आप जेसे पड़े लिखे मुर्ख ही कहा करते हैं ,यह भी सत्य है की एक अक्ल का अंधा -अन्य अक्ल्के अंधों को कलयुग में गुरु बन मार्ग दर्शन करवा रहा है इनकी बहुत बड़ी  जमात है ,और उनकी आस्था अविनाशी गुरु में नही ऐसे गुरु में है जिस का नाश निश्चित हें , मेरे गुरु अविनाशी हैं जिन का किसी भी काल में नाश नही हूआ वह हैं गुरु ब्रह्मा गुरु महेश गुरु विष्णू ,इन जेसा या इनके समान कलयुगी गुरू होही नही सकता , इसी लिए मेने इसी अविनाशी गुरु को अपना गुरु धारण किया है में आप की दृष्टि में अविनाशी गुरु की शिष्या होने के कारण पशु समान हूँ मुझ बहुत अछा लगा ,अब आप विचार करें सनातन धर्म के नाम पर धबा कोन?

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