कौरव पक्ष के योद्धा | |
पाण्डव पक्ष के योद्धा | पुरूजीत •धृष्टकेतु •वृहद्क्षत्र •सहदेव, मगध नरेश •इरवन •चेकीतन •सत्यकि •सेनाविन्दु•श्रुत्कर्मा •द्रुपद •सत्यजीत •युद्धमन्यु •चित्रयुद्ध •चित्रयोधिन •उत्तमानुज • शिखंडी •क्षात्रधर्मन•धृष्टद्युम्न •विराट •जलासंध •वृहन्त •घटोत्कच •अभिमन्यु •प्रतिविंद्य •सुतसोम •श्रुतकीर्ति•सतनीक •श्रुतकर्मण •सहदेव •नील •नकुल •युधिष्ठिर •भीम •अर्जुन कुरुक्षेत्र युद्ध के योद्धा |
गुरुवार, 24 जून 2010
कुरुक्षेत्र युद्ध के योद्धा
बुधवार, 16 जून 2010
जीवन का महाभारत हमें लड़ऩा भी है और जीतना भी है
ऐसा ही हम सभी के जीवन का कुरुक्षेत्र भी है। जैसे ही बच्चा पैदा होता है पहले रोता है। तो रोने से शुरू होती है उसके संघर्षों की कहानी। आज ये करूंगा, कल वो करूंगा। मतलब कर्म के बगैर आदमी रह नहीं सकता। जब तक शरीर है एक क्षण भी हम बिना कर्म के रह नहीं सकते। मन भी कहता रहता है ये करूंगा वो करूंगा। तो जब तक जीवन है तब तक कर्म करना ही होता है,लेकिन मूल बात है कुशलता पूर्वक कर्म करना। बिना कर्म के तो रहना मुश्किल है और कर्म से छूटना मुश्किल है। लेकिन कर्म के बंधन से छूटना मुश्किल नहीं है, यह युक्ति गीता के तीसरे अध्याय 'कर्मयोग' में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं।
महाभारत के विश्वविख्यात युद्ध के लिये स्वयं श्री कृष्ण द्वारा जगह का चयन किया गया। कुरुक्षेत्र के विशाल मेदान में दोनों ओर सेनाएं हैं, रथ हैं, रथ में अर्जुन बैठे हैं और कृष्ण सारथी के रूप में रथ के अश्वों की बागडोर अपने हाथ में लिए चला रहे हैं। थोड़ा समझें, यह केवल ऐतिहासिक घटना मात्र नहीं है, इसमें एक दर्शन है। जीवन स्वयं में कुरुक्षेत्र है। हमारे जीवन में कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जब हम किंकर्तव्यविमूढ़ होकर खड़े हो जाते हैं, अर्जुन की तरह। क्या करना चाहिए, क्या नहीं, हमारी समझ में नहीं आता। अपना कर्तव्य क्या है? अपना धर्म क्या है? गीता के द्वारा भगवान हमें याद दिलाते हैं कि-हमारा कर्तव्य क्या है? लक्ष्य क्या है? और इस लक्ष्य को सफलतापूर्वक हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
मंगलवार, 15 जून 2010
gita और Deepak Parmanand के बीच
15 जून को 18:54 बजे | GOD BLESS U The Lord does not look at the things man looks at. Man looks at the outward... | हटाएँ |
15 जून को 18:22 बजे | (no subject) hi | हटाएँ |
15 जून को 16:10 बजे | Guru giyan bina jeevan kora Jis ke jeevan main guru nahin, woh insaan nahi pashu hai, krishna aur ram ko... | हटाएँ |
15 जून को 13:26 बजे | जम्मू कश्मीर में हिन्दु तीर्थ यात्रि? Please read and comment ............ | हटाएँ |
15 जून को 12:22 बजे | Wall Photos Thanks. | हटाएँ |
15 जून को 12:13 बजे | श्री शंकराचार्य उपदेशामृत ६६ भगवच्चिंतन और आहार - शुद्धि * जब तक चीज अनुभव में नहीं आती तब तक ठीक - ठ... | हटाएँ |
15 जून को 07:08 बजे | good morning Na jane kon si baat aakhri ho jaye, Na jane kon si raat aakhri ho jaye, Haa... | हटाएँ |
14 जून को 22:11 बजे | club of 500 members thanx u 2 all of u member for support national issue team . national issue ma... | हटाएँ |
14 जून को 21:40 बजे | (no subject) Hello Madam gita .. 10 minute ke liye on line aa jayo ... aapaka confussion d... | हटाएँ |
14 जून को 18:07 बजे | liked ur thoughts I am really happy to see u... keep it up.. the one n only truth.. Lord of lor... | हटाएँ |
14 जून को 10:34 बजे | (no subject) kool! | हटाएँ |
14 जून को 10:34 बजे | (no subject) Impressive! | हटाएँ |
14 जून को 10:32 बजे | REPORTERS REQUIRED IN MUZAFFARNAGAR, LUCKNOW & Allahabad Dear respected Members- Thank you so much for extending your patronage to the... | हटाएँ |
14 जून को 07:01 बजे | good morning Each moment of your life is a picture which u had never seen b4 And which ul... | हटाएँ |
14 जून को 07:00 बजे | sms of the day Dil ki amiri bzar me nahi milti, Sachi dosti har daal par nahi khilti, Apno... | हटाएँ |
Guru giyan bina jeevan कोरा
जिस के जीवन मैं गुरु नहीं , वोह इंसान नहीं पशु है , कृष्ण और राम को भी गुरु की सनिथ्य मैं जाना पड़ा , जो स्वयं अनपद हो , वोह दूसरो की गुरु भक्ति को किया समजे गहा , वोह कितनी भी गीता पड ले , उसका मार्ग दर्शन गुरु के बिना नहीं हो सख्त . संत महा पुरुषो की निंदा कर्न्ने वाले सनातन धर्म पे एक थफा है . प्रभु सब को सुध बूढी प्रधान करे . किसी गुरु के बारे मैं अच नहीं सूच सकते तो उनके भरे मैं मत लिकिये . आप का गुरु बिना गियान आप को बी मुभारक हो .दीपक परमा नन्द जी कास्न्देश गीता शर्मा के नाम
गीता द्वारा जीहाँ जिसके जीवन में गुरु नही उसका जीवन कोरा होता है और गुरु अछी तरहा परख कर ही बना ना चाहिए राम और कृष्ण के गुरु तो थे जब तक उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना का काम आरम्भ नही किया हमारे शाश्त्र भी ब्राह्मण को ही गुरु बताते हैं ,भू देव बताते हैं ,कलयुग के पड़े लिखे गुरु और उनके आप जेसे चेले ,देह धारी को गुरु बनाते हैं जो अभी तक मुक्त नही आगे ऐसा होने वाला भी शक ही है ,क्यों की गीता के आरम्भ में दो सेनाओं के बीच भगवान अर्जुन का रथ हांक रहे हैं ,दूसरी सेना में सभी गुरुओं को शामिल करवा अर्जुन के हाथो ही मरवा रहे हैं ,कुछ भी छिपा नही हर अन्पड इतना जानता है ,पड़े लिखों का लेबल लगे यह इसलिए नही जानते क्यों की उन की दूकान दारी प्रभावित होती है , वेसे भी दो बेड़ियों का स्वर डूबता ही है , सिख धर्म नानक (अकाल पुरख )के जहाज पर सवार होने को कहते है और ग्रन्थ को गुरु मानने की आज्ञा देता है ,मुस्लिम ,इसाई और हिन्दू सनातन धर्म भी भगवान की ही शरण ग्रहण करने को कहते हैं ,किसी और की नही ,कलयुगी गुरु की शरण आप जेसे पड़े लिखे मुर्ख ही कहा करते हैं ,यह भी सत्य है की एक अक्ल का अंधा -अन्य अक्ल्के अंधों को कलयुग में गुरु बन मार्ग दर्शन करवा रहा है इनकी बहुत बड़ी जमात है ,और उनकी आस्था अविनाशी गुरु में नही ऐसे गुरु में है जिस का नाश निश्चित हें , मेरे गुरु अविनाशी हैं जिन का किसी भी काल में नाश नही हूआ वह हैं गुरु ब्रह्मा गुरु महेश गुरु विष्णू ,इन जेसा या इनके समान कलयुगी गुरू होही नही सकता , इसी लिए मेने इसी अविनाशी गुरु को अपना गुरु धारण किया है में आप की दृष्टि में अविनाशी गुरु की शिष्या होने के कारण पशु समान हूँ मुझ बहुत अछा लगा ,अब आप विचार करें सनातन धर्म के नाम पर धबा कोन?
गीता द्वारा जीहाँ जिसके जीवन में गुरु नही उसका जीवन कोरा होता है और गुरु अछी तरहा परख कर ही बना ना चाहिए राम और कृष्ण के गुरु तो थे जब तक उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना का काम आरम्भ नही किया हमारे शाश्त्र भी ब्राह्मण को ही गुरु बताते हैं ,भू देव बताते हैं ,कलयुग के पड़े लिखे गुरु और उनके आप जेसे चेले ,देह धारी को गुरु बनाते हैं जो अभी तक मुक्त नही आगे ऐसा होने वाला भी शक ही है ,क्यों की गीता के आरम्भ में दो सेनाओं के बीच भगवान अर्जुन का रथ हांक रहे हैं ,दूसरी सेना में सभी गुरुओं को शामिल करवा अर्जुन के हाथो ही मरवा रहे हैं ,कुछ भी छिपा नही हर अन्पड इतना जानता है ,पड़े लिखों का लेबल लगे यह इसलिए नही जानते क्यों की उन की दूकान दारी प्रभावित होती है , वेसे भी दो बेड़ियों का स्वर डूबता ही है , सिख धर्म नानक (अकाल पुरख )के जहाज पर सवार होने को कहते है और ग्रन्थ को गुरु मानने की आज्ञा देता है ,मुस्लिम ,इसाई और हिन्दू सनातन धर्म भी भगवान की ही शरण ग्रहण करने को कहते हैं ,किसी और की नही ,कलयुगी गुरु की शरण आप जेसे पड़े लिखे मुर्ख ही कहा करते हैं ,यह भी सत्य है की एक अक्ल का अंधा -अन्य अक्ल्के अंधों को कलयुग में गुरु बन मार्ग दर्शन करवा रहा है इनकी बहुत बड़ी जमात है ,और उनकी आस्था अविनाशी गुरु में नही ऐसे गुरु में है जिस का नाश निश्चित हें , मेरे गुरु अविनाशी हैं जिन का किसी भी काल में नाश नही हूआ वह हैं गुरु ब्रह्मा गुरु महेश गुरु विष्णू ,इन जेसा या इनके समान कलयुगी गुरू होही नही सकता , इसी लिए मेने इसी अविनाशी गुरु को अपना गुरु धारण किया है में आप की दृष्टि में अविनाशी गुरु की शिष्या होने के कारण पशु समान हूँ मुझ बहुत अछा लगा ,अब आप विचार करें सनातन धर्म के नाम पर धबा कोन?
सोमवार, 14 जून 2010
klyugi raam
Naresh Motwani सत्शिष्य वही
है जो गुरु के
आदेश के
मुताबिक चले।
गुरुमुख बनो,
...मनमुख नहीं।
गुरुदेव के
वचनों पर चलो।
सब ठीक हो
जायेगा। बड़े
दिखने वाले
आपत्तियों के
घनघोर बादल
गुरुमुख
शिष्य को डरा
नहीं सकते।
उसके देखते
देखते ही वे
बादल
छिन्न-भिन्न हो
जाते हैं।
गुरुमुख
शिष्य कभी
ठोकर नहीं खाता।
जिसको अपने
गुरुदेव की
महिमा पर
पूर्ण भरोसा
होता है ऐसा
शिष्य इस
दुर्गम माया
से अवश्य पार
हो जाता है।
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करें ,अन्यथा यह सर पर सवार हो कर हमारी बुधि के मूल्यों को नष्ट कर देते हैं.गुर मुख किसी के चेहरे पर नजर नही आता ,मनमुख चेहरे से ही नजर आने लगता है ,मनुष्य का गुरु अविनाशी जिस का नाश ही ना हो अति उतम ,नाश वा.... और देखें... और देखें.. और देखेंन गुरु जिसे मर जाना है अधम होता है क्यों की इनके शिष्यों को गुरुदेव की
महिमा परपूर्ण भरोसा होता है, ईस्वर पर नही ,अतः यही गुर मुख गुरु सहित नरक का भोगी हो जाता हे सदेव नीच से नीच योनी को प्राप्त होता है ऐसा हमारे शाश्त्र कहते हैं
मेरा मत तो यह है की इंसान को गुरु ही ना बनाया जावे क्या आप का गुरु पापी नही उसने कोई पाप नही किया ?चोर का चेला महान चोर नही तो क्या बने गाआप गीता का अध्ययन आरम्भ करें रामजी आप का भला करें